Source: 4C Medical Group
छात्रों की बुद्धि परीक्षा के लिए जटिल प्रश्नों , पहेलियो , समस्याओं आदि का प्रयोग किया जाता था। तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालयओ की अध्ययन विधियों में बुद्धि परिक्षाओं का महत्त्वपूर्ण स्थान था। आज परिस्तिथि ऐसी है कि भारत विदेशी विद्वानों द्वारा बनाई गई बुद्धि परीक्षा की विधियों का प्रयोग कर रहा है। साथ ही अगर आप भी इस पात्रता परीक्षा में शामिल होने जा रहे हैं और इसमें सफल होकर शिक्षक बनने के अपने सपने को साकार करना चाहते हैं, तो आपको तुरंत इसकी बेहतर तैयारी के लिए सफलता द्वारा चलाए जा रहे CTET टीचिंग चैंपियन बैच- Join Now से जुड़ जाना चाहिए।19वी शताब्दी के उत्तरार्ध में गाल्टन ने ऐन्द्रिक विभेदीकरण , ऐन्द्रिक प्रत्यक्षीकरण तथा ऐन्द्रिक तीक्ष्गता को मापा।यघपि ये माप विशेष तौर से बुद्धि संबंधी नहीं हैं परंतु इनको बुद्धि परीक्षण का अग्रदूत माना जा सकता है।
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बुद्धि एक अमूर्त संप्रात्यय है जिसे व्यक्ति के व्यवहार के आधार पर समक्षा जा सकता है। मनोवैज्ञानिकों ने भिन्न - भिन्न व्यक्तिगत विभिन्नताओं को मापने की चेष्टा की। इस माप के लिए भिन्न भिन्न प्रकार के परीक्षण बनाए गए । इनमें बुद्धि को मापने के परीक्षण बनाए गए। सन 1886 में एबिगहाॅस तथा केटल ने विभिन्न व्यक्तियों के बुद्धि संबंधी अंतर को मापने के लिए कई प्रकार के परीक्षण तैयार किए। फ्रांसिस गाल्टन प्रथम मनोवैज्ञानिक थे जिन्होंने वैयक्तिक विशेषताओं की आनुवंशिकता का अध्यन किया। गाल्टन ने प्रख्यात ब्रिटिश नागरिकों के जीवन का अध्यन । उन्होंने अपने इस इस अध्यन ते निष्कर्ष के रूप में अपनी पुस्तक ' Hereditary Genius ' में बताया कि वैयक्तिक आनुवंशिकता होती है। गाल्टन से प्रभावित होकर कैटल ने गाल्टन के विचारों को अमेरिका में प्रसारित किया। सन 1890 में अमेरिका के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक केटल ने कुछ मानसिक परीक्षण निर्माण किए । इन परीक्षणों के आधार केटल ने कोलंबिया विश्विविधयालय के विद्यार्थियों में प्रतिक्रिया की गति ऐन्द्रिक तीक्ष्णता स्मृति तथा कुछ अन्य सरल मानसिक क्रियाओं के संबंध विभिन्नताओं की माप की। आज बुद्धि को जन्मजात शक्ति माना जाता है। सन 1879 में लिपजिंग विश्वविद्यालय ( वर्तमान में कार्ल मार्क्स विश्विद्यालय ) , जर्मनी के प्रोफेसर वुन्ट (1832 - 1920 ) ने मनोविज्ञान की प्रथम प्रयोगशाला स्थापित की थी । उन्होंने दृष्टि , श्रवण , प्रतिक्रिया काल एवं मनोभौतिक समस्याओं के प्रयोगात्मक अध्यन एवं उपर्युक्त समाधान के लिए दैहिक एवं अंतर्दशन दोनों विधियों का प्रयोग किया। तभी से वैज्ञानिक आधार पर बुद्धि परीक्षणों का निर्माण कार्य प्रारंभ हो गया।