1) अमूर्त बुद्धि : यह बुद्धि ज्ञान अर्जन में सहायता करती है। यह बुद्धि शब्दों , प्रतीकों व चिन्हों के प्रति प्रतिक्रिया करने की योग्यता है। सूक्षम या अमूर्त चिन्तन , कल्पना या संवेदन करनेे की मानसिक योग्यता को थार्नडाइक ने अमूर्त बौद्धिक
योग्यता कहा है। गणितज्ञ व दार्शनिकों के विचारों में अमूर्त बुद्धि प्रतिबिम्बित होती है।
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इस प्रकार बुद्धि का सम्बन्ध अंक , शब्द , प्रतीक , संकेत आदि से अधिक होता है।2) मूर्त बुद्धि : जब हम मूर्त या स्थल विषयों पर कार्य करते हैं तो मूर्त बुद्धि का सहारा लेते हैं। मूर्त बुद्धि तंत्र , भवन , गामक क्रियाओं तथा निष्पादन के क्षेत्र में प्राणी की सहायता करती है। यह बुद्धि वह मानसिक योग्यता है जो स्थूल एवं
दृष्टिगत वस्तुओं के प्रयोग , उनके पारस्परिक सम्बन्धों और संगठनों को समझने एवं उनके निर्माण में सहायता करती है।
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3) सामाजिक बुद्धि : यह समाज में व्यवहार कौशल से संबंधित है। जिस मानसिक योग्यता दृारा व्यक्ति , सामाजिक कार्य , व्यवहार तथा कुशलाताओं को संपादित करता है, वह सामाजिक बुद्धि कहलाती है।
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