[भाग - 1, अनुच्छेद (1-4)]
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अनुच्छेद - 1 के तहत भारत को राज्यों का संघ कहा गया है।
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अनुच्छेद 2 नए राज्यों का प्रवेश या स्थापना
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अनुच्छेद 3 नए राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्यों के क्षेत्रों या नामों में परिवर्तन
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अनुच्छेद 4 पहली अनुसूची और चौथी अनुसूची के संशोधन तथा अनुपूरक आनुषंगिक और पारणामिक विषयों का उपबंध करने के लिए अनुच्छेद 2 और अनुच्छेद 3 अधीन बनाई गई विधियां।
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12वें संविधान संशोधन द्वारा गोवा, दमन व द्वीप को प्रथम परिशिष्ट में शामिल करके भारत का अभिन्न अंग बना दिया गया।
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भारतीय नागरिकता
[ भाग - 2, अनुच्छेद (5-11)]
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नागरिक - वह व्यक्ति जिसे राज्य की और से नागरिक व राजनीतिक आधिकार प्राप्त होते हैं, और जिसे राज्य के प्रति कुछ कर्तव्यों का निर्वाह करना पड़ता है, नागरिक कहलाता है।
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विदेशी - वे व्यक्ति जो किसी राज्य में स्थाई अथवा अस्थाई रूप से निवास करते हैं, लेकिन वे उस राज्य के नागरिक नहीं होते हैं, विदेशी कहलाते हैं।
नागरिक और विदेशियों को प्राप्त आधिकारों में अंतर
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मतदान करने का अधिकार केवल नागरिकों को ही प्राप्त हैं, विदेशियों को नहीं।
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भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15, 16, 19 में वर्णित अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त हैं।
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केवल नागरिक ही कुछ पदों के पात्र हैं; जैसे - राष्ट्रपति का पद अनुच्छेद 58 (1) (क), उपराष्ट्रपति का पद 66(3) (क), उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश 124(3), उच्च न्यायालय का न्यायाधीश अनुच्छेद 272(2), महान्यायवादी अनुच्छेद 76(2), राज्यपाल अनुच्छेद - 157, महान्यायवादी अनुच्छेद 165, ये पद केवल भारतीय नागरिकों को ही प्राप्त हैं।
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लोक सभा तथा प्रत्येक राज्य की विधान सभा के निर्वाचन के लिए मत देने का अधिकार (अनुच्छेद 326) और संसद सदस्य होने का अधिकार (अनुच्छेद 84) तथा राज्य के विधानमंडल का सदस्य होने का अधिकार अनुच्छेद 191(1) (घ)। ये अधिकार केवल भारत के नागरिकों के लिए ही उपलब्ध हैं।