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देश का सबसे बड़ा बैंकिंग फ्रॉड
देश के सबसे बड़े बैंकिंग फ्रॉड घोटाले से जुड़े इस मामले में सीबीआई ने कपिल वाधवान और धीरज वाधवान पर एक नया केस रजिस्टर कर लिया है. यह वो मामला है जिसमें इन दोनों भाईयों ने मिलकर बैंकिंग समूह को 34,615 करोड़ रूपए से भी अधिक का चूना लगा दिया था. जिन बैंकों के साथ धोखाधड़ी की गई थी उनकी अगुआई यूनियन बैंक ऑफ इंडिया कर रहा था. हैरत की बात है कि यह सीबीआई द्वारा दर्ज़ किया गया अब तक का सबसे बड़ा बैंकिंग फ्रॉड का मामला है. मामले में सीबीआई द्वारा केस से जुड़े 12 परिसरों की तलाशी और छानबीन की जा रही है.सामान्य हिंदी ई-बुक - फ्री डाउनलोड करें |
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आपराधिक साजिश का केस
सीबीआई ने दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) के सीएमडी रहे कपिल वाधवान और निदेशक धीरज वाधवान के साथ साथ रियल स्टेट के कारोबार से जुड़ी कुल 6 कम्पनियों के खिलाफ़ आपराधिक साजिश का केस दर्ज़ किया है. ज्ञातव्य हो कि साल 2021 में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने सीबीआई से दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) के खिलाफ 40,623 करोड़ के बैंकिंग फ्रॉड की जांच करने की अपील की थी. इस सिलसिले में 11 फरवरी 2022 में सीबीआई को यह शिकायत दी गयी थी, जिसके बाद इस मामले में कार्यवाही शुरू की गयी थी. इसमें ये पता चला था कि दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) के सीएमडी रहे कपिल वाधवान और निदेशक धीरज वाधवान और यस बैंक के को-फाउंडर राणा कपूर ने मिलकर इस बैंकिंग फ्रॉड को अंजाम दिया था. ये दोनों वही वाधवान भाई हैं जो कोरोना काल में भी लॉकडाउन तोड़ने के कारण गिरफ्तार किए गए थे.इस मामले में सीबीआई और ईडी के केस रजिस्टर करने के बाद से हीं ये मुम्बई के तलोज़ा जेल में बंद थे. फिलहाल ये दोनों भाई जमानत पर हैं.
सीबीआई के सूत्रों से बताया गया है कि यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, नरीमन पॉइंट, मुंबई के डीजीएम और शाखा प्रमुख विपिन कुमार शुक्ला ने इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज कराई थी. सीबीआई ने जांच के बाद आईपीसी की धारा 120-बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act) की धारा 13 (2) के तहत ये मामला दर्ज किया है.